त्यौहार फीके, रंग बेरंग, आम ज़िन्दगी का रूप बदरंग। दुनिया भर में छाई महामंदी से छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा सभी दुखी हैं. श्रीसाईं सत्चरित्र का विवरण लें तो बिलकुल वही दृश्य है जो शिर्डी के आसपास हैजा फैलने के समय था. जहाँ-तहां लोग मर रहे थे, परेशान थे, दुखी थे मगर श्रीसाईं के आशीर्वाद से शिर्डी की सीमओं के भीतर उस हैजे के प्रकोप ने अपने पैर तक नहीं धरे. हम श्रीसाईं के बच्चे हैं हमारा ये मानना है की हमारा मन श्रीसाई की शिर्डी है तो हमें ये भी समझना होगा की ये महामंदी उस हैजे के समान है. अगर उस हैजे का प्रकोप शिर्डी में क़दम नहीं धर सका था तो ये महामंदी हमारे मन को कैसे विचलित कर सकती है? जानता हूँ आप यही सोच रहे हैं की जिनको उस महामंदी ने निगला है उनमें से शायद मैं नहीं हूँ. बिलकुल सही है मगर पर-पीडा को ना समझ सकूं इतना कृपण भी मैं नहीं हूँ. मैं जानता हूँ की इस विकट परिस्थिति में जहाँ लोगो नें अपनी लगभग आधी सेलरी के बराबर किस्तें बना रखी हैं वो रखी सेलेरी आधी ही रह जायेगी तो कितनी मुसीबत में आ जायेंगे.
श्रीसाईं सत्चरित्र के अध्याय 18-19 में हेमाडपंत वर्णन करते हैं की सदगुरु अपनी संतानों का ध्यान वैसे ही रखते हैं जैसे एक कछुवी अपने बच्चो का ध्यान रखती है। कछुवी के बच्चे नदी के एक किनारे पर होते हैं और वो खुद दुसरे किनारे पर उसके बाद में कछुवी की प्रेम भरी दृष्टी ही उसके बच्चो का पालन-पोषण करती है. इसी प्रकार श्रीसाईं भी अपने बच्चो का पालन करते हैं. श्रीसाई की कृपा दृष्टी से उनके बच्चो के घर अन्न और वस्त्रो का कभी अभाव नहीं होता. बाबा ने इसी अध्याय में बताया है की उनके गुरु महाराज ने उनसे केवल दो पैसे मांगे थे 'श्रद्धा' और 'सबूरी' इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने शिष्यों को कोई गुरु मन्त्र नहीं दिया. बाबा ने भी सबसे यही दो वचन मांगे हैं.
आज इस महामंदी के विकराल दानव से श्रीसाईं के ये दो पैसे ही हमारी रक्षा करेंगे. आप अपने मन में 'श्रद्धा' रखें की श्रीसाईं हमारी कछुवी माँ है तो हमें केवल उस माँ के प्यार के सहारे ही इस दानव का सर्वनाश करने में सफलता मिलेगी बस इसके लिए हमें दुसरे पैसे 'सबूरी' की सहायता लेनी होगी. बहुत पहले एक साईंभक्त बहिन ने मुझे कहा था की 'बाबा को मत बताओ की तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है, उस परेशानी को बताओ की तुम्हारा बाबा कितना बड़ा है'. बाबा ने खुद नाना साहेब चांदोरकर से कहा था "तुला कालजी कासले, माझा सारा कालजी आहे' यानि 'तुम्हे चिंता किस बात की है, तुम्हारी चिंता मुझे है'. तो अग़र वो बाबा हमारा करता धरता है तो हमें चिंता करने की कोई ज़रुरत ही नहीं है. आप साईं में यकीन रखें तो वो आपके यकीन में असर पैदा करेगा. बस यहीं हमेशा ध्यान रखें 'बाबा है ना'. दुनिया को दें की 'महामंदी से दुनिया परेशान है, साईं भक्तो के मुखड़े पर फिर भी मुस्कान है'.
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